तस्करी लिरिक्स (Taskari Lyrics in Hindi) – Ustad Rashid Khan, Jyotica Tangri | Anu Malik x Zee Music

तस्करी गाने के बोल | Ustad Rashid Khan और Jyotica Tangri की दमदार आवाज़ में दर्द भरा गीत। सपनों और यादों की तस्करी की कहानी।

Taskari Song Poster from Anu Malik x Zee Music

Taskari Lyrics in Hindi – Full Song Lyrics (तस्करी)

खाली खाली ख़ाबों के, खांचे तेरे बिन
झूठी झूठी रातें सारी, झाँसे मेरे दिन
बादल जब भी छाये,
आँखें भरी, आँखें भरी

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

तेरे मेरे बीच, जो रहा ना रहा,
रह जाने दे
है अनकही का जो असर
कहा है कह जाने में
तेरे मेरे बीच, जो रहा ना रहा,
रह जाने दे
है अनकही का जो असर
कहा है कह जाने में
रहूँ मैं तो तेरा पर रहूँ अजनबी

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

माना जुदा जुदा रास्तों पे चला
आधा, थोड़ा, पूरा, जितना भी तू मिला
जीने को काफी है ये कमी

रहा रहा मैं कतारों में
जला जला हूँ चिरागों में
मैंने गली की बारातों में
ढूंढा तुझे फिर भी ना पाया

मुखबरी तेरी गलियों की
बस ख़यालों में करती हूँ मैं
तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं

तेरे जैसा हुआ, जब से तू है ख़फ़ा
कितनी दफ़ा पूछा, खुदसे अपना पता
पहचान मिली है नई

वो बैठे रहना घाटों पे
ना कुछ कहना घंटो में
बिसरी मुलाक़ातों से
आगे मैं तो कभी बढ़ ना पाया

तू बरी करदे मुझे अब
देती खुद को सजा हूँ मैं
तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

तेरे मेरे बीच, जो रहा ना रहा,
रह जाने दे
है अनकही का जो असर
कहा है कह जाने में
तेरे मेरे बीच, जो रहा ना रहा,
रह जाने दे
है अनकही का जो असर
कहा है कह जाने में
रहूँ मैं तो तेरा पर रहूँ अजनबी

तस्करी तेरे सपनों की
सूनी रातों में करती हूँ मैं
जनवरी तेरे जाड़ों की
हर मई याद करती हूँ मैं

खाली खाली ख़ाबों के, खांचे तेरे बिन
झूठी झूठी रातें सारी, झाँसे मेरे दिन
बादल जब भी छाये,
आँखें भरी, आँखें भरी

गीतकार: सिद्धार्थ-गरिमा


About Taskari (तस्करी) Song

यह गाना "तस्करी" Ustad Rashid Khan और Jyotica Tangri की आवाज़ में है, जिसकी music Anu Malik ने दी है और lyrics Siddharth-Garima ने लिखे हैं, यह Zee Music Originals की एक बहुत ही खूबसूरत presentation है। गाने की शुरुआत "खाली खाली ख़ाबों के, खांचे तेरे बिन" से होती है, जो एक deep emotional feel देती है, यहाँ singer अपने खालीपन और अधूरे सपनों के बारे में बता रही है, बिना अपने loved one के उसकी रातें झूठी और दिन धोखे से भरे लगते हैं, जब भी बादल छाते हैं, आँखें भरी-भरी हो जाती हैं, यानी एक constant emotional pain का एहसास होता है।

गाने का main theme "तस्करी तेरे सपनों की, सूनी रातों में करती हूँ मैं" पर केंद्रित है, जहाँ singer कहती है कि वह सूनी रातों में अपने loved one के सपनों की तस्करी करती है, यानी चोरी-छुपे उन्हें याद करके समय बिताती है, वह जनवरी की सर्दी और मई की गर्मी में भी उसकी यादों को महसूस करती है, यह एक metaphorical way में deep longing और emotional smuggling को दर्शाता है। गाने में "तेरे मेरे बीच, जो रहा ना रहा, रह जाने दे" जैसे lines हैं, जो unspoken feelings और incomplete relationship के impact को highlight करती हैं, singer कहती है कि जो अनकहा है, उसे कहने में ही एक असर है, और वह चाहती है कि वह stranger बनकर भी उससे जुड़ी रहे।

आगे के verses में, singer अपने journey के बारे में बताती है, "माना जुदा जुदा रास्तों पे चला", यानी अलग-अलग रास्तों पर चलने के बावजूद, जो मिला वह जीने के लिए काफी है, लेकिन फिर भी वह कतारों में रहकर, चिरागों में जलकर, गली की बारातों में ढूंढते हुए भी उसे नहीं पा सकी। "मुखबरी तेरी गलियों की, बस खयालों में करती हूँ मैं" यह दिखाता है कि वह सिर्फ खयालों में ही उसकी गलियों की जासूसी करती है, और जब से वह नाराज हुआ, उसने अपना पता भी खुद से पूछा, जिससे उसे एक नई पहचान मिली, लेकिन वह पुरानी यादों से आगे नहीं बढ़ पाई, और अब वह खुद को सजा देते हुए, उससे मुक्ति माँगती है, यह गाना overall एक heartfelt story of love, loss, और emotional struggle बयाँ करता है, जो listeners को deeply connect करवाता है।