दिल मुसाफिर के भटकते हुए बोल | Lucky Ali की लाजवाब आवाज़ में यह सफर। Tu Meri Main Tera का यह गीत दिल की हर धड़कन को छूता है। TMMTMTTM
Dil Musafir Lyrics in Hindi – Full Song Lyrics (दिल मुसाफिर)
ओ ओ ओ..
बिन पूछे क्यूँ बेसबर सी?
ये राह मुड़ने लगी
तुझपे ही उसकी नजर थी
अफवाह उड़ने लगी
हुए दिल के कमरे यूँ रौशन
वजह कुछ भी ना थी
तेरे रंगों का था ये मौसम
और मुझको सुध भी ना थी
ये सफर को, ही खबर थी
तू ही मंजिल है मेरी
दिल ये मजाकियाँ
करता चालाकियाँ
तुझको ढूंढे रह-रह के
दिल ये मजाकियाँ
करता खराबियाँ
बहका आवारा बन के
ढूंढे मेरी राहें किसको आखिर?
यहाँ वहाँ फिरे किसकी खातिर?
ऐसे कैसे हुआ? दिल मुसाफिर
दिल मुसाफिर, दिल मुसाफिर
ओ ओ ओ..
ढूंढे मेरी राहें किसको आखिर?
यहाँ वहाँ फिरे किसकी खातिर?
ओ ओ ओ..
ऐसे कैसे हुआ? दिल मुसाफिर
दिल मुसाफिर, दिल मुसाफिर
ओ ओ ओ...
मैं अधूरा, तू अधूरी
हैं अकेले और ये दूरी
का समां.. ओ ओ...
हम तो खुद ही लापता हैं
कैसे होगा कम बता?
ये फासला...
तरकीबें दिल करेगा
वो तुझ तक ले चलेगा
बिन बता...
दिल पे छोड़े क्या ये बातें?
वो है शातिर ढूँढ लेगा
तेरा पता...
ये आसमान घुमा कर
ये जमीन है मुड़ने लगी
मुझे कुछ भी ना ये बता कर
तेरी ओर उड़ने लगी
ये सफर को, ही खबर थी
तू ही मंजिल है मेरी
दिल ये मजाकियाँ
करता चालाकियाँ
तुझको ढूंढे रह-रह के
दिल ये मजाकियाँ
करता खराबियाँ
बहका आवारा बन के
ओ ओ ओ..
ढूंढे मेरी राहें किसको आखिर?
यहाँ वहाँ फिरे किसकी खातिर?
ओ ओ ओ..
ऐसे कैसे हुआ? दिल मुसाफिर
दिल मुसाफिर, दिल मुसाफिर
ओ ओ ओ..
ढूंढे मेरी राहें किसको आखिर?
यहाँ वहाँ फिरे किसकी खातिर?
ओ ओ ओ..
ऐसे कैसे हुआ? दिल मुसाफिर
दिल मुसाफिर, दिल मुसाफिर
हो ओ ओ ओ.. ओ ओ ओ...!
गीतकार: अन्विता दत्त
About Dil Musafir (दिल मुसाफिर) Song
यह गाना "दिल मुसाफिर" है, जो Tu Meri Main Tera Main Tera Tu Meri (TMMTMTTM) movie का हिस्सा है, इस movie में Kartik Aaryan और Ananya Panday मुख्य भूमिका में हैं, गाने के music composer Vishal और Sheykhar हैं, singer Lucky Ali हैं और lyrics Anvitaa Dutt ने लिखे हैं, music label Saregama Music के अंतर्गत जारी किया गया है।
गाने के lyrics एक ऐसे दिल की कहानी बताते हैं जो एक मुसाफिर की तरह भटक रहा है, शुरुआत में गाना पूछता है कि बिना किसी वजह के राह क्यों मुड़ने लगी, क्योंकि उसकी नज़र सिर्फ तुम पर थी और अफवाहें उड़ने लगीं, दिल का कमरा बिना किसी वजह के रोशन हो गया, मौसम तुम्हारे रंगों वाला था और मुझे कुछ सुध भी नहीं थी, यह सफर खुद ही सब कुछ था और तुम ही मेरी मंजिल बन गए।
आगे के हिस्से में दिल को मजाकिया और चालाक बताया गया है, जो तलाश में इधर-उधर भटकता है, वह पूछता है कि मेरी राहें किसको ढूंढ रही हैं, यहाँ-वहाँ किसकी खातिर फिर रहा हूँ, और कैसे दिल मुसाफिर बन गया, बाद में अधूरेपन और दूरी का जिक्र है, दिल तरकीबें लड़ाता है ताकि तुम तक पहुँच सके, आसमान घूम जाता है और जमीन मुड़ने लगती है, सब कुछ बिना बताए तुम्हारी ओर बढ़ने लगता है, और फिर से यही स्वीकार होता है कि तुम ही मेरी मंजिल हो।