मदिरा के लिरिक्स | राहु केतु का मदहोश कर देने वाला डांस ट्रैक। Simar Kaur, Abhinav Shekhar और Vikram Montrose की आवाज़। एक ज़हरीले नशे की दास्तान।
Madira Lyrics in Hindi – Full Song Lyrics (मदिरा)
मदिरा, मदिरा
हियर वी गो
अजनबी देखी, मैं तो डर गइयाँ
सखियाँ भी मेरी सारी घर गइयाँ
रत्तियाँ भी काली देखो पड़ गइयाँ
धीरे-धीरे
मदिरा से अँखियाँ जो लड़ गइयाँ
गट-गट मारी, वो तो चढ़ गइयाँ
पगला के नाची, मैं तो मर गइयाँ
धीरे-धीरे
नशा बीमारी है,
जो बढ़ती जा रही है
उतारे उतरे ना, जो
इश्क़ सरीखा चढ़ता जाए, रे
सूचना भारी है,
जनहित में जारी है
संभाले कैसे? आँगन
टेढ़े-मेढ़े नाच नचाए, रे
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
जैसे विक्रम पे बेताल
हाय, हाय, उफ़
जैसे विक्रम पे बेताल
चढ़ गई
चढ़ गई, चढ़ गई
चढ़ गई
चढ़ गई, चढ़ गई
क़ातिलाना बड़ा ये नशा,
क़ाफ़िराना करे ये दशा
आज़माना ज़रा ये ज़रा,
जो मैख़ाने में मिलता मज़ा
क़ातिलाना बड़ा ये नशा,
क़ाफ़िराना करे ये दशा
आज़माना ज़रा ये ज़रा,
जो मैख़ाने में मिलता मज़ा
नशा बीमारी है,
जो बढ़ती जा रही है
उतारे उतरे ना, जो
इश्क़ सरीखा चढ़ता जाए, रे
सूचना भारी है,
जनहित में जारी है
संभाले कैसे? आँगन
टेढ़े-मेढ़े नाच नचाए, रे
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
जैसे विक्रम पे बेताल
चढ़ गई
चढ़ गई, चढ़ गई
चढ़ गई
चढ़ गई, चढ़ गई
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
मदिरा ऐसी चढ़ गई, चढ़ गई है
जैसे विक्रम पे बेताल
गीतकार: अभिनव शेखर
About Madira (मदिरा) Song
यह गाना "मदिरा", movie Rahu Ketu का है, जिसमें Pulkit Samrat, Varun Sharma और Shalini Panday मुख्य कलाकार हैं। यह गाना Vikram Montrose द्वारा compose किया गया है और इसे Simar Kaur, Abhinav Shekhar और खुद Vikram Montrose ने गाया है, जबकि lyrics Abhinav Shekhar के द्वारा लिखे गए हैं, और यह गाना Zee Music Company के अंतर्गत आता है।
गाने की शुरुआत में, एक महिला अपने अनुभव बताती है, वह कहती है कि एक अजनबी को देखकर वह डर गई, उसकी सखियाँ भी घर चली गईं, और अँधेरा छा गया, फिर धीरे-धीरे मदिरा का नशा चढ़ता है, आँखें लड़ने लगती हैं, वह गट-गट पीती है और नशा चढ़ जाता है, नाचते-नाचते वह खो सी जाती है। गाने में नशे को एक बीमारी की तरह दिखाया गया है, जो इश्क की तरह ही चढ़ती है और उतरती नहीं, और एक सूचना दी जाती है कि यह समस्या बढ़ रही है, जनहित में इसके बारे में बताया जा रहा है, लेकिन इस नशे के आगे व्यक्ति का आँगन टेढ़े-मेढ़े नाच से भर जाता है।
गाने के अंतिम भाग में, मदिरा के नशे की तुलना Vikram और Betal की कहानी से की गई है, जहाँ नशा इतना गहरा है कि व्यक्ति पर हावी हो जाता है, इसे "क़ातिलाना नशा" और "क़ाफ़िराना दशा" कहा गया है, जो मैख़ाने (शराबघर) में मिलने वाले मज़े को दर्शाता है, और गाना इसी नशीले आवेग और उसके प्रभावों के चक्र को दोहराता हुआ समाप्त होता है।