मोह ना लागे लिरिक्स (Moh Na Laage Lyrics in Hindi) – Shreyas Puranik, Arijit Singh | Dukaan

मोह ना लागे के बोल | Dukaan फिल्म का भावुक गीत Arijit Singh और Shreyas Puranik की आवाज़ में। Siddharth-Garima के दिल छू लेने वाले लिरिक्स पढ़ें।

Moh Na Laage Song Poster from Dukaan

Moh Na Laage Lyrics in Hindi – Full Song Lyrics (मोह ना लागे)

मोह ना लागे मोह न लागे
मोहन तोसे ऐसी कोई सूरत कर दे
या रेशम सी मखमल कर दे
या पत्थर की मूरत कर दे

होवे काशी काबा मेरा
होवे काशी काबा मेरा तो में बसते राम
जो कर लूँ मैं तेरे फेरे कर लूँ चारो धाम
कर लूँ चारो धाम

मोह ना लागे मोह न लागे
मोह ना लागे मोह न लागे

तरस में बीते बरस ये सारे
बरसे रिम झिम मेघा कारे
साँझ चढ़ी तो साँझ चली फिर
चाँद भी निकला, चमके सितारे

फूल खिला ना अंगना मोरे
आये गए जो भाग
पर नैनो ने मेरे लिया ना
सावन से बैराग
सावन से बैराग !

मोह ना लागे मोह न लागे
मोह ना लागे मोह न लागे

कैसो पियासो छाँव लागा ये
जग दोष का ही नाम दे
मीरा को भक्ति ही सुहाये
प्रीत क्यूँ डारि श्याम से

ओ सारे गीत बदल दो
चाहे रीत पलट दो
दो नाम अलग है संग में बोलो
आज से बोलो मीरा श्याम मीरा श्याम

तूने जोग का चोला ओढ़ा
पहना हर इल्ज़ाम
पिलूँ अब मैं विष का प्याला
हो जाऊँ बदनाम

बोलो मीरा श्याम
बोलो मीरा श्याम

मोह ना लागे मोह न लागे
मोह ना लागे मोह न लागे...!!!

गीतकार: सिद्धार्थ-गरिमा


About Moh Na Laage (मोह ना लागे) Song

यह गाना "मोह ना लागे" Dukaan movie से है, जिसमें Monika Panwar और Sikandar Kher ने काम किया है। यह गाना Shreyas Puranik और Arijit Singh की आवाज़ में है, जबकि music भी Shreyas Puranik ने दिया है। lyrics Siddharth-Garima ने लिखे हैं, जो बहुत deep और emotional हैं। गाने की शुरुआत "मोह ना लागे" के repetition से होती है, जो एक तरह का refusal या resistance दिखाता है, जैसे कोई कह रहा हो कि मुझे किसी चीज़ से लगाव न हो। फिर "मोहन तोसे" वाले हिस्से में एक request है, जहाँ गायक कहता है कि या तो मोहन मुझे रेशम जैसा कोमल बना दे, या फिर पत्थर जैसा कठोर, यानी भावनाओं से दूर कर दे। इसके बाद "होवे काशी काबा मेरा" में religious references हैं, जहाँ गायक कहता है कि अगर काशी और काबा मेरे होते, तो मैं राम में विश्वास करता, और तेरे चारों धाम के फेरे लेता, जो devotion और त्याग की भावना दिखाता है।

गाने के अगले हिस्से में, "तरस में बीते बरस" वाले lines में time का बीतना और इंतज़ार का एहसास है, जहाँ साल बीत गए लेकिन बारिश की बूंदों जैसी कोमलता नहीं आई। "साँझ चढ़ी तो साँझ चली" में दिन के बीतने का metaphor है, जहाँ चाँद और तारे चमके लेकिन खुशी नहीं आई। "फूल खिला ना अंगना मोरे" में निराशा है, क्योंकि आंगन में फूल नहीं खिले, और जो लोग आए वो चले गए, लेकिन मेरी आँखों ने सावन से भी बैराग ले लिया, यानी मानसून की खुशी से भी दूरी बना ली। यहाँ "सावन से बैराग" एक strong statement है, जो emotional detachment को दर्शाता है।

आखिरी भाग में, "कैसो पियासो छाँव लागा" में एक paradox है, जहाँ छाँव में भी प्यास लगती है, और दुनिया दोष देती है। "मीरा को भक्ति ही सुहाये" में historical reference है, जहाँ मीरा के भक्ति और श्याम के प्रेम के बीच का conflict दिखता है। गायक कहता है कि सारे गीत बदल दो, रीत पलट दो, और अब मीरा और श्याम के नाम अलग-अलग बोलो। "तूने जोग का चोला ओढ़ा" में accusation है, जहाँ सामने वाले पर दोष मढ़ा जा रहा है, और गायक कहता है कि अब मैं विष का प्याला पीकर बदनाम हो जाऊंगा। अंत में "बोलो मीरा श्याम" का repetition है, जो separation या अलगाव को highlight करता है, और गाना "मोह ना लागे" के साथ खत्म होता है, जो पूरे गाने की theme को summarize करता है - यानी emotional attachment से बचने की कोशिश।


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