डमरू के बोल – Sector 36 का शक्तिशाली भक्ति गीत। भगवान शिव को समर्पित यह गाना Mohit Chauhan और Anupam Amod की आवाज़ में। एक ऐसा डमरू जो पाप का नाश करता है। पूरे लिरिक्स पढ़ें।
Dumroo Lyrics in Hindi – Full Song Lyrics (डमरू)
ॐ हुं-हुं हुंकारा
सुनियो मेरी, नाथ, कृपाला
ढा-ढा-ढम डमरू जो बाजे
टा-ठा-ठार पापी सब काँपे
पर्वत पे हो बैठे जाके
धूनि रमाये, भस्म लगाये
जब-जब पाप का बढ़ता साया
तब-तब बजता नाद तुम्हारा
डम-डम-डम, डम-डम-डम-डम-डम
डम-डम-डम, डमरू जब बाजे
डम-डम-डम, डम-डम-डम-डम-डम
डम-डम-डम, डमरू जब बाजे
सबको एक समान बनाया
कोई है पाया, कोई गँवाया
कोई उजाले में है समाया
किसी ने अंधेरा अपनाया
कोई तपस्वी, कोई शिकारी
कोई है दानव, कोई पुजारी
दोनों बीज हैं तुझमे समाये
जो तू बोए, सो तू खाये
ॐ हुं-हुं हुंकारा
रात हुई तो सुबह भी आ रहा
ढा-ढा-ढार डर जाये अंधेरा
किरणों का जब आये सवेरा
कोई तो है जो देख रहा है
पाप और पुण्य को तोल रहा है
जब-जब पाप का वजन बढ़ा है
तब-तब नाद का शोर मचा है
डम-डम-डम, डम-डम-डम-डम-डम
डम-डम-डम, डमरू जब बाजे
डम-डम-डम, डम-डम-डम-डम-डम
डम-डम-डम, डमरू जब बाजे
सुख-दुख का है खेल रचाया
कभी जिताया, कभी हराया
जिसने भी तुझको अपनाया
उसको तूने पार लगाया
कोई सकारा, कोई नकारा
डमरू का है खेला सारा
कभी तो सुख है, कभी जो दुख है
दोनों मिले तो तेरा रुख है
ॐ हुं-हुं हुंकारा
अब तो सुनलो, नाथ, कृपाला
ढा-ढा-ढार डमरू बजाके
त-थ-थार त्रिशूल घुमा के
पर्वत पर मत बैठो जाके
आ जाओ अब धूनि लगा के
पाप ही पाप का बढ़ता साया
बजने दो अब नाद तुम्हारा
डम-डम-डम, डम-डम-डम-डम-डम
डम-डम-डम, डमरू जब बाजे
डम-डम-डम, डम-डम-डम-डम-डम
डम-डम-डम, डमरू जब बाजे
कोई तो है जो देख रहा है
पाप और पुण्य को तोल रहा है
जब-जब पाप का वजन बढ़ा है
तब-तब नाद का शोर मचा है
कोई तो है जो.. देख रहा है...!
गीतकार: धुनकी
About Dumroo (डमरू) Song
यह गाना "डमरू" है, जो Sector 36 movie से है, इसमें Vikrant Massey और Deepak Dobriyal नजर आते हैं, यह गाना Lord Shiva यानी Bholenath को समर्पित है, गाने को Mohit Chauhan और Anupam Amod ने गाया है, और Dhunkey ने इसे compose और लिखा है, music label Sony Music है।
गाने के lyrics में Lord Shiva के डमरू की आवाज का जिक्र है, जो "ॐ हुं-हुं हुंकारा" से शुरू होता है, यह डमरू की आवाज पापियों को काँपा देती है, lyrics बताते हैं कि जब-जब पाप बढ़ता है, तब-तब भगवान शिव का डमरू बज उठता है, वे पर्वत पर बैठकर धूनि रमाते हैं, और भस्म लगाते हैं, फिर गाना कहता है कि भगवान ने सबको एक समान बनाया है, कोई पाया है, कोई गँवाया है, कोई उजाले में है तो कोई अंधेरे में, कोई तपस्वी है तो कोई शिकारी, कोई दानव है तो कोई पुजारी, और दोनों ही तरह के बीज भगवान में समाए हुए हैं, जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे।
आगे के हिस्से में, गाना जीवन के सुख-दुख के खेल के बारे में बताता है, कभी जीत होती है, कभी हार होती है, जिसने भी भगवान को अपनाया, उसे पार लगा दिया, डमरू का खेल सब कुछ संभालता है, कभी सुख है, कभी दुख है, और दोनों मिलकर ही भगवान का रुख बनते हैं, अंत में गाना एक request के साथ खत्म होता है, कि हे नाथ, अब डमरू बजाओ और त्रिशूल घुमाओ, पर्वत पर मत बैठो, अब धूनि लगाओ, क्योंकि पाप का साया बढ़ रहा है, और आपके नाद की जरूरत है, गाना यह संदेश देता है कि कोई तो है जो सब कुछ देख रहा है, और पाप-पुण्य को तोल रहा है, जब पाप बढ़ता है, तभी डमरू की आवाज गूँज उठती है।