शहर तेरे लिरिक्स (Shehar Tere Lyrics in Hindi) – Jazim Sharma, Himani Kapoor | Gustaakh Ishq

शहर तेरे गीत के बोल | गुलज़ार साहब के अमर लिरिक्स और विशाल भारद्वाज का संगीत। Jazim Sharma और Himani Kapoor की आवाज़ में यह दर्द भरा गीत विजय वर्मा और फातिमा सना शेख की ज़िंदगी की कहानी कहता है।

Shehar Tere Song Poster from Gustaakh Ishq

Shehar Tere Lyrics in Hindi – Full Song Lyrics (शहर तेरे)

माही वे.. माही वे...
माही वे.. माही वे...

माही वल पीठ करके मैं जाना
कि दुख ओहनूँ नै दसना

अस्सीं लै के उजाड़ा उड़ जाना
अस्सीं लै के उजाड़ा उड़ जाना
कि शहर तेरे नै वसना
कि शहर तेरे नै वसना

इक चुप लैके मर जाना, हाय
इक चुप लैके मर जाना
कि दुख तैनूँ नै दसना
कि शहर तेरे नै वसना
कि शहर तेरे नै वसना

छाँवे–छाँवे हुण पैर जलदे ने
तेरे परछावे गैर लगदे ने

पैर जलदे ने हुण छाँवे–छाँवे
गैर लगदे ने तेरे परछावे

भावें सावण लै आवे
भावें छाँवा छिड़का वे
सानूँ साइयां दी सौं
अस्सीं धूप खा के सुक्क जाना, हाय
अस्सीं धूप खा के सुक्क जाना

कि शहर तेरे नै वसना
कि शहर तेरे नै वसना
कि शहर तेरे नै वसना

ओ… ओ… ओ… ओ…

ओ सोने नाल न पीतल रल्दा
सोने नाल न पीतल रल्दा
सूरमें नाल न कोले
कावाँ दी कि कदर मोहब्बत
जिथ्थे बुलबुल बोले

हो..
याद आवे तां मुड़ के ना वेखी
पिछ्छों दी सानूँ आवाज़ ना देवीं

मुड़ के ना वेखी, याद आवे तां
पिछ्छों दी सानूँ, आवाज़ ना देवीं
मुड़ के ना वेखी, याद आवे तां
पिछ्छों दी सानूँ, आवाज़ ना देवीं

पेंडे जिंदड़ी दे
इक्को वारी लंघ जाना
सानूँ सैयाँ दी सौं
फेर नाइयो जमणा
पेंडे जिंदड़ी दे लंघ जाना, हाय
पेंडे जिंदड़ी दे लंघ जाना

कि फेर अस्सीं नै जमणा
कि शहर तेरे नै वसना

गीतकार: गुलज़ार


About Shehar Tere (शहर तेरे) Song

यह गाना "शहर तेरे लिरिक्स" Gustaakh Ishq movie का है, जिसमें Vijay Varma और Fatima Sana Shaikh मुख्य कलाकार हैं, music Vishal Bhardwaj ने compose किया है, और गाने के singers हैं Jazim Sharma और Himani Kapoor, जबकि lyrics legendary Gulzar साहब ने लिखे हैं। 

गाने की शुरुआत "माही वे.." से होती है, जो एक प्यार भरा address है, lyrics में बहुत deep emotions हैं, जैसे कि शहर को छोड़ने का दर्द, चुपचाप दूर चले जाना, ताकि सामने वाले को दुख न हो, और यह भावना कि "शहर तेरे नै वसना" - यानी तेरे शहर में बसना अब मुमकिन नहीं। 

आगे के हिस्से में metaphor के through feelings को explain किया गया है, जैसे "छाँवे-छाँवे हुण पैर जलदे ने" - यानी छाँव में भी पैर जल रहे हैं, क्योंकि अब तेरे साये भी पराये लगते हैं, और "धूप खा के सुक्क जाना" का मतलब है बिना तेरे जीवन सूखा और उदास हो गया है। 

अंत में, गाना philosophical हो जाता है, जैसे "सोने नाल न पीतल रल्दा" - सोने और पीतल का मेल नहीं हो सकता, यानी अलग होना ही था, और "पेंडे जिंदड़ी दे इक्को वारी लंघ जाना" - जिंदगी के पल को एक बार पार कर जाना, क्योंकि अब इस शहर में बसना नहीं है। पूरा गाना एक emotional journey है, जो love, separation, और moving on के feelings को beautifully express करता है।


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