सन्नाटा लिरिक्स (Sannata Lyrics in Hindi) – Sonu Nigam, Lakshay Sharma, Supriya Pathak | Jahangir National University

सन्नाटा के लिरिक्स | जेएनयू का जीत का गीत। Sonu Nigam, Lakshay Sharma और Supriya Pathak की आवाज़ें। बदलाव और राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत।

Sannata Song Poster from Jahangir National University

Sannata Lyrics in Hindi – Full Song Lyrics (सन्नाटा)

धारा के विपरीत चले
अपनी ही नाव डुबा बैठे
आग लगाने वाले ही
अपनी तशरीफ जला बैठे

हो हो धारा के विपरीत चले
अपनी ही नाव डुबा बैठे
आग लगाने वाले ही
अपनी तशरीफ जला बैठे

झूठ की पतलूनें ने उतरी है
सच की पगड़ी जीती है
आज हवाए भगवा है
हम ऐसी धाक जमा बैठे

जीतने की हमें दो बधाई
इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई
मुँह करो मीठा खाओ मिठाई 
इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई

जीतने की हमें दो बधाई
इतना सन्नाटा, सन्नाटा,
सन्नाटा क्यूँ है भाई

तुम जिसका उपहास उड़ा के
समझे थे खोटा सिक्का
आज उसी ने बाजी मारी
बन के हुक्म का इक्का

तुमने तो गुगली डाली थी
मारा है हमने छक्का
रोके से अब नहीं रुकेगा
राष्ट्रवाद का चक्का

दाल चमचो की
अब गल ना पाई
इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई

दाल चमचो की
अब गल ना पाई
इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई

भोर बदलाव की खिलखिलाई
इतना सन्नाटा, सन्नाटा,
सन सन सन्नाटा क्यूँ है भाई

अब खैर नहीं जय चंदों की
है गूंज रहा जयकारा
इतिहास नया हम लिख देंगे
मोड़ेंगे उलटी धारा

कितनी ही कुर्बानी दी है
लाने को वक्त हमारा
हा फिर से सोने की चिड़ियाँ
होगा ये देश हमारा

अब जो बारी हमारी है आई
इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई
ले रहा है समय अंगड़ाई
इतना सन्नाटा, सन्नाटा,
सन्नाटा क्यूँ है भाई

इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई...!!!

गीतकार: राजेश मंथन


About Sannata (सन्नाटा) Song

यह गाना "सन्नाटा" JNU - Jahangir National University मूवी से है, जिसमें मुख्य भूमिका में Urvashi Rautela, Siddharth Bodke, Ravi Kishan, Piyush Mishra और Vijay Raaz हैं, यह गाना Zee Music Company द्वारा रिलीज़ किया गया है, गाने को Sonu Nigam, Lakshay Sharma और Supriya Pathak ने गाया है, संगीत Vijay Verma का है और गीत Rajesh Manthan द्वारा लिखे गए हैं।

गीत की शुरुआत "धारा के विपरीत चले, अपनी ही नाव डुबा बैठे" से होती है, जो एक गहरी बात कहता है कि जो लोग समाज की धारा के खिलाफ चलते हैं या हिंसा फैलाते हैं, वे अक्सर खुद ही नुकसान उठाते हैं, फिर गीत आगे बढ़ता है "झूठ की पतलूनें ने उतरी है, सच की पगड़ी जीती है" यानी झूठ की नीव हिल गई है और सच की जीत हुई है, गीत में "भगवा हवाएं" और "धाक जमाने" की बात करके एक नए बदलाव और ताकत का एहसास दिलाया गया है।

मुख्य अंतरे में बार-बार पूछा गया है "इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई", जैसे कि यह जीत के बाद की खामोशी पर सवाल उठा रहा है, गीत में "गुगली" और "छक्का" जैसे क्रिकेट शब्दों का इस्तेमाल करके दिखाया गया है कि एक रणनीतिक जीत हुई है, और "राष्ट्रवाद का चक्का" अब नहीं रुकेगा, आखिरी हिस्से में "इतिहास नया हम लिख देंगे, मोड़ेंगे उलटी धारा" जैसी पंक्तियाँ देश के लिए कुर्बानी और एक नए स्वर्णिम भविष्य की उम्मीद दिखाती हैं, यह गाना जोश, बदलाव और देशभक्ति की भावनाओं से भरा एक शक्तिशाली एंथम है।



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